आज से आरम्भ है , आज से शुरुआत है
रक्त की ही बात हो , मन में ये उल्लास हो
बात कुछ हो देश आगे, धर्म का परिवेश आगे
मैंने ठाना आज से ही, कलम से हर बात हो
रक्त की ही बात हो , मन में ये उल्लास हो
बात कुछ हो देश आगे, धर्म का परिवेश आगे
मैंने ठाना आज से ही, कलम से हर बात हो
बहुत सींचा क्यारियों को
फूल की तो बात मत कर
तितलियों का ठौर कोई
भाडे पे इजाद मत कर
फूल की तो बात मत कर
तितलियों का ठौर कोई
भाडे पे इजाद मत कर
रंग दे तू शलाका को
बूँद रक्तों से ही धधके
इंधनों में रक्त फून्कूं
सूर्य की लाली भी भभके
कर दिशा को ज्वलित अब तू
ये पिपासा शांत ना हो
शांति पाठों को पढ़ा था
फिर ये आजादी मना तू
बूँद रक्तों से ही धधके
इंधनों में रक्त फून्कूं
सूर्य की लाली भी भभके
कर दिशा को ज्वलित अब तू
ये पिपासा शांत ना हो
शांति पाठों को पढ़ा था
फिर ये आजादी मना तू
जर्द चेहरों पे लकीरें
कह रही कुछ दास्ताने
बेबसी की मन फकीरी
रख जहा पर कदम देगा
धंसेगी धरती तुरत ही
आएगी सीता भी बाहर
राम से कह विजय होगी.....जय हिंद,,,

1 टिप्पणी:
sundar rachna.
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