है तुम्हें धिक्कार जीवन
झुकना मत गर तुम सही हो
करना तुम प्रतिकार जीवन
साथ मत देंना विकृत का
लोभ ना स्वीकार जीवन
कौन है ? मैं बस तुम्हारा !
शब्द अस्वीकार जीवन
एक संयम भाव है बस
सहन कर पर ना बदलना
लाख उल्काएं गिरे गर
तान शर टंकार जीवन
भ्रमित भौरे का सहारा
छोड़ दे उपकार जीवन
आज जो कल स्वर्ण होगा
लौह बन गुजार जीवन


2 टिप्पणियां:
कहा भी गया है की सत्तमेव जयते।
यदि हम सही है तो झुकने की कोई जरूरत नहीं है
एक सारगर्वित कविता।
कहा भी गया है की सत्तमेव जयते।
यदि हम सही है तो झुकने की कोई जरूरत नहीं है
एक सारगर्वित कविता।
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